Vidyaalay samaaj ka darpan hai yah kathan kisaka hai :- नमस्कार दोस्तों आशा करता हूं आप बिल्कुल ठीक होंगे आपका हार्दिक स्वागत है हमारे इस लेख में आज के इस लेख के मदद से हम विद्यालय समाज का दर्पण है यह कथन किसका है के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले हैं।
यह सवाल कई कई बार परीक्षाओं में पूछा जाता है और बच्चे और क्षत्राओ उसके जवाब नहीं दे पाते हैं इसलिए हमने इस लेख को लिखा है और इस लेख में इससे जुड़ी जानकारी देने की कोशिश की है तो चलिए शुरू करते हैं इसलिए को बिना देरी किए हुए।
विद्यालय समाज का दर्पण है यह कथन किसका है
John Dewey (जॉन डिवी) के कथन के अनुसार विद्यालय समाज का दर्पण है। विद्यालय समाज के क्षात्र और क्षत्राओ के चरित्र और सूझ बुझ के विकास में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
विद्यालय में जो भी छात्र पढ़ने आते हैं वह अपने वर्तमान समाज के भविष्य होते हैं और। विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षकों का भी यह दायित्व होता है कि वह अपने छात्रों को इस कदर से पढ़ाए,
कि वह अपने समाज का नाम रोशन कर सके और उनके सिखाए गए गुणों का पालन करें और उनके सद्गुणों अपने अंदर लाए और जीवन में अपनी सफलता की ओर बढ़े।
John Dewey (जॉन डिवी) कौन थे ?
जॉन डेवी एक मनोवैज्ञानिक, दार्शनिक और अमेरिकी शिक्षक थे, जो लगभग बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के सब से महत्वपूर्ण और प्रशिद्ध अमेरिकी दार्शनिक माने जाते थे,
साथ ही साथ वह व्यावहारिकता के दर्शन के संस्थापकों में से भी एक थे। वह पिछली सदी की शुरुआत के और बाद से, अपने देश में प्रगतिशील शिक्षाशास्त्र के सब से अच्छे प्रतिनिधि थे। ये शिक्षा शैली पर बहुत ध्यान देते थे।
John Dewey (जॉन डिवी) का जीवन परिचय
दोस्तों हमने ऊपर के टॉपिक मे जाना कि विद्यालय समाज का दर्पण है यह कथन किसका है और हमने John Dewey (जॉन डिवी) के बारे में भी थोड़े बहुत जानकारी प्राप्त की अब हम लोग John Dewey (जॉन डिवी) के जीवन परिचय के बारे में जानने वाले है तो चलिए शुरू करते है इस टॉपिक को।
हम आपके जानकारी के लिए बता दे को जॉन डिवी का जन्म तकरीबन 20 अक्टूबर, वर्ष 1859 को संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित बर्लिंगटन नामक शहर में हुआ था।
जॉन डिवी विनम्र मूल के उपनिवेशवादियों के परिवार में पले बड़े हुवे थे। 1879 वर्ष में उन्होंने किसी वरमोंट विश्वविद्यालय में कला में स्नातक किया। फिर स्नातक करने के बाद उन्होंने पेंसिल्वेनिया में इस्थित एक स्कूल शिक्षक के रूप में क्षात्रों की सेवा की थी।
फिर तकरीबन 1881 में, डेवी ने अपनी विश्वविद्यालय की पढ़ाई जारी रखने का मूड बनाया और फैसला किया। यही कारण है कि जॉन डिवी बाल्टीमोर, मिशिगन चले गए, और वहाँ जाने के बाद उन्होंने हॉपकिंस विश्वविद्यालय में अपना दाखिला करवाया । वहां उन्होंने दर्शन विभाग में अपनी पढ़ाई शुरू की और जारी रखी।
जॉन डिवी विश्वविद्यालय परिसर के हेगेलियन वातावरण से प्रभावित था। और कुछ इसी प्रकार से पढ़ते और पढाते फिर 1 जून, 1952 को न्यूयॉर्क में उनका निधन हो गया।
जॉन डीवी की शिक्षा सम्बन्धी रचनायें
दोस्तों क्या आपको मालूम है कि जॉन डीवी ने बड़ी संख्या में पुस्तकों, शोध पत्रों एवं निबन्धों की रचना की उनके काम दर्शन से सम्बन्धित है। हमने नीचे में जॉन डिवी के सभी रचनाओं को स्टेप बाई स्टेप कर के लिखा है तो आप उन्हें ध्यान से पढ़े और समझे।
- जॉन डीवी ने वर्ष 1899 में -दि स्कूल एण्ड सोसाइटी की रचना की थी ।
- जॉन डीवी ने वर्ष 1902 में – दि चाइल्ड एण्ड दि क्यूरीकुलम की रचना की थी ।
- जॉन डीवी ने वर्ष 1910 में – हाउ वी थिन्क की रचना की थी ।
- जॉन डीवी ने वर्ष 1913 में – इन्ट्रेस्ट एण्ड एर्फट इन एडुकेशन की रचना की थी ।
- जॉन डीवी ने वर्ष 1915 में – स्कूल्स ऑफ टूमॉरो की रचना की थी ।
- जॉन डीवी ने वर्ष 1916 में – डेमोक्रेसी एण्ड एडुकेशन की रचना की थी ।
- जॉन डीवी ने वर्ष 1922 में – ह्यूमन नेचर एण्ड कन्डक्ट की रचना की थी ।
- जॉन डीवी ने वर्ष 1925 में – इक्सपीरियन्स एण्ड नेचर की रचना की थी ।
- जॉन डीवी ने वर्ष 1929 में – दि क्वेस्ट फॉर सर्टेन्टि: स्टडी ऑफ रिलेशन ऑफ नॉलेज एण्ड एक्शन की रचना की थी ।
- जॉन डीवी ने वर्ष 1929 में सोर्सेज ऑफ साइन्स एडुकेशन की रचना की थी ।
कुछ इसी प्रकार से जॉन डीवी की रचनाएं है।