Uttar vaidik kal ka pramukh devta kaun thaUttar vaidik kal ka pramukh devta kaun tha

Uttar vaidik kal ka pramukh devta kaun tha :-  नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप लोग आशा करता हूं आप बिल्कुल ठीक होंगे आपका स्वागत है हमारे इस ब्लॉग में आज के इस ब्लॉग के माध्यम से  उत्तर वैदिक काल का प्रमुख देवता कौन थे के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले हैं।

दोस्तों यह सवाल हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ है और कई कई बार तो यह सवाल परीक्षाओं में भी पूछ लिया जाता है मगर कई सारे ऐसे छात्र मौजूद है जिनको इसके बारे में तनिक भी मालूम नहीं है। तो उन सभी के लिए ही हमने इस लेख को लिखा है तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना देरी किए हुए और जानते हैं कि उत्तर वैदिक काल का प्रमुख देवता कौन थे ।

Uttar vaidik kal ka pramukh devta kaun tha | उत्तर वैदिक काल का प्रमुख देवता कौन थे

उत्तर वैदिक काल क्या है ?

दोस्तों हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि 600 ई. पू. तक के काल को ‘उत्तर वैदिक काल’ कहा जाता है। उत्तर वैदिक काल में ऋग्वेद के अलावा और तीन वेदों की रचना की गई है जिस में से पहला है यजुर्वेद और दूसरा है सामवेद और अंत मे तीसरा है अथर्ववेद।

गाइस इन वेदों के अलावा भी उत्तर वैदिक काल में अरण्यक, ब्राह्मण ग्रन्थ और उपनिषदों को भी रचा गया था। हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि इस काल मे लोहे की खोज भी की गईं है ।

जो की इस काल का सबसे बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। उत्तर वैदिक काल में भूरे मिट्टी के बर्तनों और इन पर प्रारंभिक चित्र कारी के भी कई सारे  प्रमाण मिलते हैं।

ऋग्वेदिक काल के उल्टा उत्तर वैदिक काल में आर्यों ने धिरे धीरे सप्त सैन्धव से निकल कर भारत के बाकी इलाकों में भी पूर्ण रूप से फैलना शुरू कर दिया। इन्होंने भारत के पूर्ववर्ती और दक्षिणवर्ती इलाकों को भी अपना घर का विस्तार किया।

दोस्तों ऋगवैदिक काल में जहां पशुपालन  और पोषण को ज़्यादा अहमियत दी जाती थी, ठीक वहीं उत्तर वैदिक काल में आर्यों ने पशुपालन के साथ साथ खेती जैसी प्रणाली पर भी अद्धिक ध्यान देना शुरू किया।

उत्तर वैदिक काल में धार्मिक जीवन के बारे में

दोस्तों हमने ऊपर के टॉपिक में जाना कि उत्तर वैदिक काल क्या है अब हम इस टॉपिक में जानेंगे उत्तर वैदिक काल में धार्मिक जीवन के बारे में  तो चलिए शुरू करते है इस टॉपिक को।

दोस्तों हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि यज्ञ उत्तर वैदिक काल में किया जाना वाला सब से बड़ा धार्मिक अनुष्ठान बन चुका था। दोस्तों यह आर्यों की संस्कृति का सब से बड़ा और अहम आधार था।

उत्तर वैदिक काल में यज्ञ के साथ साथ अब कई तरह तरह के दुसरे धार्मिक क्रिया कलाप भी किये जाने लगे और इसी तरह से आगे चलता रहा ।

उत्तर वैदिक काल में विष्णु को मानव जाति का संरक्षक और प्रजापति को इस दुनिया के निर्माता के रूप में सभी जगह पर पूजा जाने लगे थे। उत्तर वैदिक काल में  विष्णु, ब्रह्मा और महेश की अवधारणा लोगों में बीच धीरे धीरे  फैलने लगी थी।

हमने आपको ऊपर में भी बताया है कि इसी दौरान, इस काल में ऋग्वेद के बाद तीन और वेदों को बनाया गया जिन्हें क्रमशः  सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद कहा गया। इस काल की विश्व को सबसे बड़ी देन थी वेद। तो दोस्तों कुछ इस प्रकार से उत्तर वैदिक काल में धार्मिक जीवन रही है।

उत्तर वैदिक काल के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था?

कृषि उत्तर वैदिक काल में आर्यों का मुख्य व्यवसाय था। हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि ‘ शतपथ ब्राह्मण’ में कृषि से संबंधित लगभग चारों क्रियाओ जुताई, बुआई, कटाई तथा मड़ाई  इन सभी का उल्लेख किया गया है।

वैदिक सभ्यता को आर्य सभ्यता क्यों कहते हैं ?

हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि वैदिक सभ्यता के निर्माता, पूर्ण रूप से आर्य ही थे, इस लिए वैदिक सभ्यता को आर्य सभ्यता ही कहा जाता है।

सबसे बड़ा देवता कौन है?

दोस्तों आपको तो मालूम ही होगा कि हिंदुत्व के कितने सारे देवी देवताओं आज मौजूद हैं और उनमें से कुछ ही प्रमुख माने जाते हैं और उन सभी प्रमुख देवताओं का नाम हमने नीचे में स्टेप बाय स्टेप करके लिखा है तो आप उन्हें ध्यान से पढ़े और समझे

  • गणेश (प्रथम पूज्य)
  • लक्ष्मी
  • विष्णु
  • शंकर
  • कृष्ण
  • सरस्वती
  • दुर्गा
  • इन्द्र

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