Simon Commission Bharat kab AayaSimon Commission Bharat kab Aaya

simon commission bharat kab aaya :- नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप लोग आशा करता हूं आप बिल्कुल ठीक हो गए आपका हार्दिक स्वागत है हमारे इस लेख में आज के इस लेख के मदद से हम साइमन कमीशन भारत कब आया  के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने वाले हैं।

दोस्तों अगर आप थोड़ा सा भी इतिहास पढ़े होंगे तो आपको साइमन कमीशन का टॉपिक बहुत चर्चित नजर आया होगा और साइमन कमीशन से जुड़ी हुई सवाल अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते हैं ।

और कई सारे ऐसे छात्र-छात्राएं हैं जो इसका जवाब नहीं दे पाते हैं तो उन सभी लोगों के लिए ही हमने इस लिख को लिखा है। तो साइमन कमीशन से जुड़ी हुई जानकारी पाने के लिए आप हमारे इस लेख को ध्यान से पूरे इंटर तक पढ़े।

simon commission bharat kab aaya (साइमन कमीशन भारत कब आया था)

दोस्तों हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि दिसंबर 1927 वे वर्ष में मद्रास अधिवेशन में अध्यक्ष एमए अंसारी (MA. Ansari )के नेतृत्व में कांग्रेस संघटन ने हर स्तर पर साइमन कमीशन का बहिष्कार करने का फैसला किया गया था ।

फिर नेहरू द्वारा किसी विषय एक त्वरित प्रस्ताव पारित किया गया और हमारे देश के स्वतंत्रता को कांग्रेस के लक्ष्य के रूप में पूर्ण रूप से निर्धारित किया गया। अंततः हुवा कुछ ऐसा की कांग्रेस ने तकरीबन 1929 वे वर्ष के लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ की घोषणा सभी के बीच पारित कर दी।

फिर लगभग 3 फरवरी 1928 वे वर्ष को साइमन कमीशन भारत मे बॉम्बे नामक जगह पर उतरा। फिर पूरे देश में बड़े पैमाने पर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया।

उसके बाद दोस्तों भारत के हर कोने में ‘गो बैक’ ( GO BACK ) के नारे से विरोध होने लगा। और उसके बाद में लाठी चार्ज के दौरान लाला लाजपत राय की भयंकर पिटाई के बाद विरोध और प्रदर्शन पूरे तरह से  हिंसक हो गया और इस के तुरंत बाद उनकी अज्ञात कारण से मृत्यु हो गई।

फिर तकरीबन 17 नवंबर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। फिर तकरीबन मई 1930 में कमीशन ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। तो दोस्तों कुछ इस प्रकार से साइमन कमीशन भारत आये थे।

साइमन कमीशन क्या है ?

साइमन कमीशन एक गठन है और इसकी शुरुआत लगभग 8 नवंबर 1927 वे वर्ष में हुआ था और यह आयोग या गठन सात ब्रिटिश सांसदों का समूह था।

इस गठन का मुख्य उद्देश्य हमारे देश भारत के संविधान में हुए सुधारों का पूरे तरह से अध्ययन करना था मगर खाश तौर पर इस आयोग का गठन  मानटेंगयु चेम्स्फ़ो्द सुधार की जांच करना था।

साइमन आयोग का का अध्यक्ष जोन साइमन था और इसी के नाम पर ही साइमन आयोग का नाम साइमन रखा गया था।

हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि इस आयोग के मुख्य सुझाव था कि भारत में एक लचीले संविधान का निर्माण फिर से हो।

और हमारे देश भारत में एक संघ की स्थापना हो जिस में ब्रिटिश भारतीय राज्य और देशी रियासतें सभी एक साथ शामिल हो सके और केंद्र में ही उत्तरदायी शासन की व्यवस्था हो ।

और इन आयोग का मुख्य उद्देश्य प्रांतीय गवर्नर और वायरराय को विशेष शक्तियां प्रदान करना भी था। तो दोस्तों यही कुछ मुख्य सुझाव था इस साइमन आयोग के होने का ।

Simon commission का अर्थ क्या है?

Simon Commission का अर्थ ब्रिटिश सांसद का समूह था, इस मे कुल सात सदस्य थे और ईसका गठन तकरीबन 1927 वे वर्ष में भारत के संविधान सुधारों के अध्ययन के लिये किया गया था।

सर जोन साइमन इस साइमन आयोग (कमीशन) के मुख्य अध्यक्ष  थे और इनके नाम पर ही इस आयोग का नाम साइमन आयोग पड़ा था।

साइमन कमीशन का भारत में विरोध क्यों किया गया?

दोस्तों हमने आपको ऊपर में बताया कि साइमन कमीशन में सभी सदस्य ब्रिटिश संसद से थे  और उनका भारत से कोई भी किसी भी तरह का संबंध नहीं था।

यानी कि भारत के संविधान के निर्माण और संविधान से जुड़ी बातों के लिए उनकी राय लेना बिलकुल सही नहीं था और वास्तव में यह ही भारतीयों का सबसे बड़ा अपमान था।

अगर आप ऐतिहास पढ़े होंगे तो आपको मालूम होगा कि चौरी-चौरा ऐतिहासिक घटना या कांड के बाद असहयोग आंदोलन वापस ले लिया गया।

हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि भारत की आजादी पहले के लड़ाई में जो शांति का माहौल बन रहा था. वह माहौल साइमन कमीशन के गठन के बाद बुरी तरह से टूट गया था और फिर सन 1927 में हमारे देश भारत के मद्रास नामक जगह पर राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ.

इस अधिवेशन में सर्वसम्मति से साइमन कमीशन का पूर्ण बहिष्कार और विरोध करने का फैसला लिया गया था और इस के साथ ही मुस्लिम लिग ने भी साइमन कमीशन का कड़ा विरोध करने का निर्णय लिया था। और साइमन कमीशन का विरोध हुआ भी था, तो कुछ इस प्रकार से साइमन कमीशन का  विरोध भारत में किया गया था।

साइमन कमीशन के मुख्य बिंदु (साइमन कमीशन इन पॉइंट्स क्या है?)

दोस्तों हमने नीचे में साइमन कमीशन के सभी मुख्य बिंदु को स्टेप बाय स्टेप करके लिखा है तो आप उन्हें ध्यान से पढ़े और समझे।

नाम साइमन कमीशन / साइमन आयोग
अन्य नाम भारतीय सांविधिक आयोग
अध्यक्ष सर जॉन साइमन
गठन वर्ष 1927
कुल सदस्य सात
प्रतिवेदन कब प्रस्तुत किया 1930 में
भारत कब आया फरवरी 3, 1928

साइमन कमीशन की नियुक्ति कब हुई ?

हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि साइमन कमीशन की नियुक्ति ब्रिटिश प्रधानमंत्री  सर जॉन साइमन के नेतृत्व में घोषणा 8 नवम्बर, 1927 ई. को हुई थी। हमने आपको ऊपर में भी बताया है कि इस कमीशन में कुल सात सदस्य थे, जो सभी ब्रिटेन की संसद के मनोनीत और प्रसिद्ध सदस्य में से एक थे।

साइमन कमीशन के कुल कितने सदस्य थे  ?

साइमन कमीशन के कुल 7 सदस्य थे। इन सात सदस्यों में से लिबरल पार्टी का 1 सदस्य था, और उस मे से 2 सदस्य लेबर पार्टी के तथा लगभग 4 सदस्य conservative party के थे।

क्या आपको मालूम है कि साइमन कमीशन में सभी सदस्य अंग्रेज थे तथा इस कमीशन  या इस आयोग में कोई भी भारतीय इंसान इसका सदस्य नहीं था। इसलिए भारतीयों ने इसे ‘श्वेत कमीशन’ या साइमन कमीशन  कह कर इसका तगड़ा विरोध एवं बहिष्कार किया।

साइमन कमीशन के 7 सदस्य कौन थे ?

साइमन कमीशन के 7 सदस्य अंग्रेज थे और उन में से दो मजदूर के पार्टी से शामिल थे और कुछ प्रतिष्ठित लिबरल पार्टी से थे। इस साइमन कमीशन का अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे और ऐसा भी माना जाता है कि इस मे क्लीमेंट एटली भी शामिल थे। तो कुछ इस प्रकार से साइमन कमीशन के 7 सदस्य थे।

साइमन कमीशन को भारत छोड़ने को क्यों कहा गया ?

साइमन कमीशन को भारत छोड़ने को इसलिए कहा गया क्योंकि साइमन कमीशन के सभी सदस्य अंग्रेज थे और उस आयोग में किसी भारतीय सदस्यों को शामिल नही कर रहे थे और भारतीय जनता का यह भी कहना था, कि जिस कानून को हम लोग पालन करेंगे ।

उस कानून का पूरा अधिकार हमें होना चाहिए और उस कानून को हम ही बनाएंगे मगर ब्रिटिश सरकार ऐसा मानने को तैयार ही नहीं थी इसीलिए साइमन कमीशन को भारत छोड़ना पड़ा।

साइमन कमीशन की स्थापना कब हुई ?

साइमन कमीशन की स्थापना 8 नवंबर सन 1927 को हुई थी।

साइमन कमीशन के अध्यक्ष कौन थे ?

साइमन कमीशन के अध्यक्ष सर जोन साइमन था और इसी के नाम पर ही साइमन आयोग का नाम साइमन रखा गया था।

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