bihari satsai ka sampadan kisne kiya thabihari satsai ka sampadan kisne kiya tha

bihari satsai ka sampadan kisne kiya tha :- नमस्कार दोस्तों उम्मीद करता हूं आप बिल्कुल ठीक होंगे आपका हार्दिक स्वागत है । हमारा इस लेख में आज के इस लेख के मदद से हम बिहारी सतसई का संपादन किसने किया था के बारे में जानने वाले है,

और महाकवी बिहारी लाल जी के जीवन परिचय के बारे में भी जानने वाले हैं और यह भी जानेंगे की बिहारी सतसई क्या है तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना देरी किए हुए।

bihari satsai ka sampadan kisne kiya tha (बिहारी सतसई का संपादन किसने किया  था ?)

“जगनाथ दास रत्नाकर ” ने बिहारी सतसई का संपादन किया था। बिहारी सतसई कवि बिहारी लाल की रचना है।

बिहारी सतसई के लेखक कौन थे?

बिहारी सतसई के लेखक बिहारी लाल थे ।

बिहारी सतसई में कितने छंद है ?

बिहारी सतसई में 713 दोहे संकलित हैं।

बिहारी सतसई क्या है ?

बिहारी सतसई एक मुक्तक काव्य है जिसे कवि बिहारी द्वारा  रचा  गया था, बिहारी सतसई मुक्तक काव्य, में  लगभग 713 दोहे संकलित हैं।

इसमें नीति, शृंगार और भक्ति और से संबंधित  दोहों की आलोचना का संकलन है। कवि बिहारी जी का पूरा नाम बिहारी लाल है, हिंदी साहित्य में रीति काल के प्रमुख कवि बिहारी लाल की लिखी बिहारी सतसई ने बड़ी प्रसिद्धि है।

बिहारी लाल पुराने जवाने के काफी मशहूर कवि थे। उस समय मे कवि के मामले में बिहारी लाल को टक्कर देने वाला कोई नही था।

बिहारी सतसई भी प्रसिद्ध मुक्तक काव्य है और आप इसकी प्रसिद्धतता के बारे में सोच सकते है कि इसे आज भी पढ़ा जाता है।

कवि बिहारी लाल कौन थे ? (कवि बिहारी लाल की जीवन परिचय)

कवि बिहारी लाल को पुराने समय मे महाकवी का दर्जा दिया गया था। महाकवी बिहारी जी का पूरा नाम बिहारी लाल था । बिहारी जी का जन्म वर्ष 1603 में ग्वालियर के पास बसुआ (गोविंदपुर) नामक किसी गाँव मे हुवा था।

कवि बिहारी लाल जी का पिता का नाम पंडित केशव राय चौबे था। बचपन में ही ये अपने पिता के साथ किसी कारण से ग्वालियर से ओरछा नगर आ गए थे।

ओरछा नगर में ही इन्होंने आचार्य केशवदास से काव्यशास्त्र की सम्पूर्ण शिक्षा प्राप्त की और काव्यशास्त्र में पूरे तरह से पारंगत हो गए।

ये बचपन मे माथुर चौबे कहे जाते थे । कवि बिहारी लाल जी का बचपन बुंदेलखंड में व्यतीत हुआ था । फिर इन्होंने युवावस्था में ये अपनी ससुराल मथुरा चले गए और वही पर जा कर के रहने लगे।

कवि बिहारी लाल जी का आश्रय राजा जय सिंह का दरबार ही था । बिहारी लाल जी का विषय रचनाए श्रंगार,  नीतिपरक, भक्ति, दोहे, इत्यादि है। बिहारी लाल जी ब्रज भाषा बोलते थे,

और उसी में रचना किया करते थे और इनकी मुख्य शैली मुक्तक (समास शैली) है।  और इसी तरह से कवि बिहारी लाल जी का मृत्यु 1660 से 1670 ई० के बीच में हो गया था, वाकई में यह प्रसिद्ध कवि थे।

कवि बिहारी लाल के प्रमुख रचनाए कौन कौन सी है ?

बिहारी लाल जी का प्रमुख एकमात्र रचना बिहारी सतसई है। हमने आपको ऊपर में भी बताया है कि यह एक मुक्तक काव्य है। इस में लगभग 719 दोहे संकलित हैं। बिहारी सतसई श्रृंगार रस की अत्यंत  अनूठी कृति और प्रसिद्ध है और यही इनकी रचना है।

              [ FAQ,s ]

Q1. Bihari satsai ka sampadan kisne kiya tha?

Ans. Jagnath Das Ratnakar  (जगनाथ दास रत्नाकर)

Q2. Kavi Bihari Lal ka Janm kab hua tha?

Ans. 1603 ई०

Q3. Kavi Bihari Lal ka mrityu kab hua tha?

Ans. 1660 ई० से 1670 ई० के बीच हुवा था।

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