आलू का उद्गम स्थल कहां हैआलू का उद्गम स्थल कहां है

आलू का उदगम स्थल कहाँ है :-  दोस्तों आपके मन में कभी न कभी यह सवाल जरूर आया होगा की आखिर आलू का उदगम स्थल कहाँ है और हो सकता है आपको इसका जवाब न मालूम हो तो हमने इस लेख में इसी पर बिचार विमर्श किया है तो चलिए शुरू करते है इस लेख को बिना देरी किये हुवे।

आलू का उद्गम स्थल कहां है ?

आलू का उद्गम स्थल मिट्टी है। दोस्तों यह सवाल कई सारे लोगों को अटपटा लगता है कि आखिर आलू के उद्गम स्थल कहां पर होगा इस सवाल का अर्थ होगा आलू कहां पर पैदा होता है। या आलू को कहां पर उगाया जाता है,

 तो इसका जवाब सिंपल सा है कि आलू को हम मिट्टी में गाते हैं और आलू मिट्टी के अंदर ही वाला बड़ा होता है। जिसका उपयोग हम अपने घर के सब्जी बनाने के लिए करते हैं या तरह-तरह के खाने में आलू का उपयोग करते हैं और आलू को खाते हैं।

आलू क्या है ?

आलू एक प्रकार का सब्जी है जिसका उपयोग हम अपने रोजाना जीवन के खाद्य पदार्थ में करते हैं और इसके तरह-तरह के सब्जी या खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं ।

जैसे :- आलू के सब्जी,  आलू के फराठे, आलू के पापड़, आलू के चिप्स, आलू के सुखोटा, इत्यादि।

दोस्तों मेरे हिसाब से आलू ही एक ऐसा सब्जी है जिसे हर एक चीज में पाया जाता है लगभग सौ परसेंट में से 70 परसेंट लोग अपने रोजाना जीवन में आलू से बने चीज़ों का सेवन करते हैं।

आलू आपको भारत के हर एक कोने में मिल जाएगा शायद ही ऐसा कोई जगह होगा जिसमें आपको आलू खाने के लिए ना मिले दोस्तों आलू का उपयोग हर लोग अपने घरों में खाने के लिए करते हैं और उसके बने स्वादिष्ट भोजन से वह अपने पूरे दिन को गुजारते हैं।

आलू की खेती कैसे की जाती है – (आलु कैसे उगाई जाती है)

दोस्तों आलू को भारत के ढेर सारे जगह पर उगाया जाता है क्योंकि आलू को उगाने में ज्यादातर खर्च नहीं आते हैं आलू को उगाने के लिए सबसे पहले हमें आलू के बीज को खरीदना होता है।

 खैर आलू का बीज आलू ही होता है जो छोटे छोटे होते हैं दोस्तों आलू के बीज को खरीदने के बाद हमें आलू की एक खेत तैयार करनी होती है,

खेत तैयार करने के बाद थोड़े थोड़े दूर के बाद आलू को रोकना होता है। आलू को रोपने के बाद अब उस खेत को पटाने की बारी आती है उस खेत में पटाने के लिए हमें उस खेत में पर्याप्त मात्रा में पानी डालना होता है।

 जब हम पर्याप्त मात्रा में पानी डाल देते हैं तो उसे कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है 10 या 15 दिनों के बाद अब उसे खेत में से आलू के छोटे-छोटे पौधे निकलने शुरू हो जाते हैं।

और 1 महीने होते होते वह पौधे पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं, अब उसमें उर्वरक डालने की बारी होती है और उस खेत को फिर से पटाने की आवश्यकता होती है अगर उस खेत में नमी बरकरार रहती है।

 तो हमें उस खेत को नहीं पटाना पड़ता है तो उर्वरक देने के बाद हल्के फुल्के पानी के छींटे देने होते हैं ताकि जो उर्वरक है वह अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाए उर्वरक को देने के बाद कुछ दिनों के लिए उस खेत को छोड़ दिया जाता है,

ताकि आलू अच्छी तरह से बैठ जाए और उसके छोड़ने के बाद कुछ ही दिनों में आलू पूरी तरह से तैयार हो जाता है और अब आलू को जमीन से निकालने के लिए।

आलू के खेत को खोदना होता है क्योंकि जो आलू होता है वह जमीन के अंदर ही बैठता है और ऊपर के डंठल को काटकर के हटा दिया जाता है,

और नीचे मिट्टी में दबे आलू को हल्के हल्के कर के निकाल लिया जाता है। तो दोस्तों कुछ इस प्रकार से ही आलू की खेती की जाती है और आलू को उगाई जाती है।

किस देश मे आलू की खेती नही की जाती है ?

कुछ सूत्रों के हिसब से पता चला है कि रूस देश मे आलू की खेती नही की जाती है।

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